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भारतीय बैंकिंग प्रणाली

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भारतीय बैंकिंग
प्रणाली का इतिहास
भारत में पहला भारतीय बैंक, जनरल बैंक ऑफ इंडिया था. इसे वर्ष 1786 में स्थापित किया गया था. ईस्ट इंडिया कंपनी नें (1840ईस्वी में) बैंक आफ मुंबई, (1843ईस्वी में) बैंक आफ  मद्रास और (1809 ईस्वी में) बैंक आफ बंगाल/कोलकाता की स्थापना की थी. ये तीनो बैंक संयुक्त रूप से प्रेसीडेंसी बैंक के नाम से जाने जाते थे. इसी तरह बैंक आफ हिंदुस्तान की स्थापना वर्ष 1870 में की गयी थी. इलाहाबाद बैंक की स्थापना  वर्ष 1865 में की गयी थी. साथ ही पंजाब नेशनल बैंक लिमिटेड को 1894 ईस्वी में स्थापित किया गया था. इस बैंक का मुख्यालय लाहौर में था. 1906 और 1913 के मध्य सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, मैसूर बैंक और केनरा बैंक स्थापित किए गए थे. वर्ष 1921 में, सभी प्रेसीडेंसी बैंकोण को विलय करके इम्पीरियल बैंक बना दिया गया जोकि यूरोपीय शेयर धारकों के द्वारा संचालित किया जाता था. इन सभी बैंको के भारतीय रिजर्व बैंक वर्ष 1935 में स्थापित किया गया था.
भारतीय बैंकों का वर्गीकरण
भारतीय बैंकों निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किये गए हैं:
• वाणिज्यिक बैंक
• सहकारी बैंक
वाणिज्यिक बैंको के अंतर्गत शामिल हैं:
1) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
अनुसूची वाणिज्यिक बैंकों में निम्नलिखित बैंक सम्मिलित हैं:
• निजी बैंक
• सार्वजनिक बैंक
• विदेशी बैंक
• क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
2) गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के अंतर्गत सम्मिलित हैं:
सहकारी बैंक
सहकारी बैंकों में शामिल हैं:
• शहरी सहकारी बैंक
• ग्रामीण सहकारी बैंक
अनुसूचित बैंक: अनुसूचित बैंक उन बैंकों को कहते हैं जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल हों. ध्यान रहे कि भारतीय रिजर्व बैंक सिर्फ उन्हीं बैंकों को इस सूची में शामिल करता हैं जो बैंक की धारा 42(6a) में अधिनियमित मानदंडो को पूरा करते हैं.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक: भारत सरकार ने 2 अक्टूबर, 1975 को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की थी. ये बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों और  छोटे उद्यमियों एवं खेतिहर किसानों और मजदूरों के लिए ऋण अनुदान की व्यवस्था करते हैं.

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